विशेषण (Adjective): परिभाषा, प्रकार एवं विस्तृत उदाहरण

विशेषण क्या है?

हिंदी व्याकरण में विशेषण (Adjective) एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा है। सरल भाषा में, विशेषण वे शब्द हैं जो संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं। विशेषण के प्रयोग से भाषा में सुंदरता, स्पष्टता और प्रभावशीलता आती है। यह किसी वस्तु या व्यक्ति के गुण, दोष, संख्या, परिमाण आदि को प्रकट करता है।

उदाहरण के लिए:

  • सुंदर लड़की
  • नीला आकाश
  • पाँच किताबें

यहाँ “सुंदर”, “नीला”, और “पाँच” शब्द विशेषण हैं, क्योंकि ये संज्ञा की विशेषता या गुण बताते हैं।

विशेषण की विशेषताएँ

विशेषण को समझने के लिए इन महत्त्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखें:

  • विशेषण सदैव संज्ञा या सर्वनाम के पहले या बाद में आता है।
  • विशेषण संज्ञा की विशेषता, संख्या या मात्रा बताता है।
  • विशेषण का प्रयोग भाषा को प्रभावी बनाता है।

विशेषण के प्रकार (Types of Adjectives)

हिंदी में विशेषण मुख्यतः चार प्रकार के होते हैं:

  1. गुणवाचक विशेषण (Qualitative Adjective)
  2. संख्यावाचक विशेषण (Numeral Adjective)
  3. परिमाणवाचक विशेषण (Quantitative Adjective)
  4. सार्वनामिक विशेषण (Pronominal Adjective)

(1) गुणवाचक विशेषण (Qualitative Adjective)

जो विशेषण किसी व्यक्ति, वस्तु या स्थान के गुण, दोष, रंग, आकार, दशा, अवस्था या स्थिति बताते हैं, वे गुणवाचक विशेषण कहलाते हैं।

स्पष्ट उदाहरण:

  • गुण: अच्छा, बुरा, महान, बुद्धिमान, साहसी
  • दोष: बुरा, आलसी, स्वार्थी
  • रंग: लाल, पीला, हरा
  • आकार: छोटा, बड़ा, मोटा
  • दशा: स्वस्थ, बीमार, खुश, उदास

वाक्यों में प्रयोग:

  1. वह एक सुंदर लड़की है।
  2. राजू एक बुद्धिमान छात्र है।
  3. उसका रंग गोरा है।

(2) संख्यावाचक विशेषण (Numeral Adjective)

जो विशेषण किसी संज्ञा की संख्या या क्रम को दर्शाते हैं, वे संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं। इसे दो भागों में बाँटा गया है:

(क) निश्चित संख्यावाचक विशेषण (Definite Numeral Adjective):

जो निश्चित संख्या या क्रम बताते हैं।

  • संख्या: एक, दो, तीन, पाँच
  • क्रम: पहला, दूसरा, तीसरा

(ख) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण (Indefinite Numeral Adjective):

जो अनिश्चित संख्या बताते हैं।

  • कुछ, अनेक, कई, थोड़े, बहुत

वाक्यों में प्रयोग:

  1. मेज़ पर तीन किताबें हैं।
  2. वह कक्षा में पहला आया।
  3. कुछ बच्चे खेल रहे हैं।

(3) परिमाणवाचक विशेषण (Quantitative Adjective)

जो विशेषण किसी वस्तु या पदार्थ की मात्रा बताते हैं, वे परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं। इनमें नाप-तौल, माप आदि की जानकारी मिलती है।

उदाहरण:

  • थोड़ा, ज्यादा, कम, पूरा, आधा, काफी, पर्याप्त, सारा

वाक्यों में प्रयोग:

  1. मुझे थोड़ा दूध चाहिए।
  2. मेरे पास काफी पैसा है।
  3. उसने पूरा खाना खा लिया।

(4) सार्वनामिक विशेषण (Pronominal Adjective)

जो विशेषण संज्ञा की विशेषता सर्वनाम की तरह बताते हैं, वे सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं। ये सर्वनाम से बनते हैं और उनका कार्य करते हैं।

उदाहरण:

  • यह, वह, ये, वे, कौन, कोई, प्रत्येक, सभी, कुछ

वाक्यों में प्रयोग:

  1. यह लड़का अच्छा है।
  2. कुछ लोग बाजार गए हैं।
  3. सभी बच्चे पढ़ रहे हैं।

विशेषण की पहचान कैसे करें?

विशेषण को पहचानने के लिए निम्न प्रश्न पूछें:

  • कैसा? (सुंदर, अच्छा, बुरा)
  • कितना? (थोड़ा, ज्यादा, कम)
  • कौन-सा? (यह, वह, ये)
  • कितने? (एक, दो, कुछ)

इन प्रश्नों का उत्तर देने वाला शब्द विशेषण होगा।

विशेषण और संज्ञा में अंतर

आधारविशेषणसंज्ञा
अर्थविशेषता बताता हैनाम बताता है
पहचानकैसा, कितना, कौन-सा प्रश्नों के उत्तरकौन, क्या प्रश्नों के उत्तर
उदाहरणअच्छा, लाल, तीनराम, घर, किताब

विशेषण के उदाहरण

  1. उसने सुंदर चित्र बनाया।
  2. राम एक मेहनती छात्र है।
  3. गाय का रंग सफेद है।
  4. वहाँ चार लड़के खेल रहे हैं।
  5. मुझे थोड़ा पानी चाहिए।
  6. पहली किताब मेरी है।
  7. मैदान में कुछ बच्चे हैं।
  8. वह बहादुर सैनिक है।
  9. कमरा साफ है।
  10. नदी का पानी ठंडा है।
  11. तुम्हारे पास कितने रुपए हैं?
  12. उसने पूरा भोजन किया।
  13. सीता एक ईमानदार लड़की है।
  14. मेरे गाँव में अनेक मंदिर हैं।
  15. विद्यालय में सभी बच्चे आए।
  16. फूल लाल है।
  17. मुझे बहुत काम करना है।
  18. पेड़ ऊँचा है।
  19. रास्ता छोटा है।
  20. उसकी कहानी रोचक है।

विशेषण के 5 महत्त्वपूर्ण नियम

  1. विशेषण सदैव संज्ञा के पहले या बाद में आते हैं।
  2. विशेषण संज्ञा के लिंग और वचन के अनुसार प्रयोग होते हैं।
  3. संख्यावाचक विशेषण में संख्या स्पष्ट होती है।
  4. गुणवाचक विशेषण संज्ञा के गुण बताते हैं।
  5. सार्वनामिक विशेषण सर्वनाम का कार्य करते हैं।

निष्कर्ष

विशेषण भाषा का अभिन्न अंग है जो वाक्यों को स्पष्ट, सुंदर और प्रभावशाली बनाता है। विशेषण का सही प्रयोग भाषा में जीवंतता लाता है। व्याकरणिक नियमों के साथ विशेषण के अभ्यास से भाषा का कौशल बढ़ता है।

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