विशेषण के भेद —परिभाषा ,उदहारण | Visheshan ke Bhed

विशेषण के भेद (Visheshan ke Bhed): हिंदी भाषा की अभिव्यक्ति में विशेषणों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। विशेषण न केवल भाषा को सुंदर और प्रभावशाली बनाते हैं, बल्कि वे संज्ञा या सर्वनाम की विशेषताओं, गुणों, संख्या, परिमाण और संबंधों को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करते हैं। बिना विशेषण के, वाक्य अधूरे और अस्पष्ट लगते हैं। इस कारण से, विशेषण का सही ज्ञान और उनके भेदों की समझ हिंदी व्याकरण के लिए अनिवार्य है।

1. विशेषण किसे कहते हैं ?

विशेषण वे शब्द होते हैं जो किसी संज्ञा (व्यक्ति, वस्तु, स्थान) या सर्वनाम की विशेषता, गुण, संख्या, परिमाण या संबंध को बताते हैं। विशेषण संज्ञा के साथ जुड़कर उसकी पहचान और उसकी भिन्नता को स्पष्ट करते हैं।

उदाहरण:

  • लाल फूल (यहाँ ‘लाल’ रंग की विशेषता बताता है)
  • बड़ा घर (यहाँ ‘बड़ा’ आकार को बताता है)
  • पहला अध्याय (यहाँ ‘पहला’ क्रम को दर्शाता है)
  • यह लड़का (यहाँ ‘यह’ निकटता या संबंध बताता है)
  • थोड़ा पानी (यहाँ ‘थोड़ा’ मात्रा बताता है)

विशेषण भाषा को स्पष्ट, सजीव और अधिक वर्णनात्मक बनाते हैं।

2. विशेषण के भेद

विशेषण के मुख्य चार भेद होते हैं, जिनके आधार पर वे वर्गीकृत किए जाते हैं:

  1. गुणवाचक विशेषण (Qualitative Adjectives)
  2. परिमाणवाचक विशेषण (Quantitative Adjectives)
  3. संख्यावाचक विशेषण (Numeral Adjectives)
  4. संबंधवाचक विशेषण (Demonstrative/Relative Adjectives)

इसके अलावा कुछ व्याकरण में और उपभेद भी माने जाते हैं, जैसे व्यवहारी विशेषण, संधिग्राही विशेषण आदि। नीचे हम हर भेद का गहन अध्ययन करेंगे।

3. गुणवाचक विशेषण (Qualitative Adjectives)

परिभाषा

गुणवाचक विशेषण वे होते हैं जो संज्ञा या सर्वनाम के गुण, स्वभाव, रंग, आकार, स्वाद, गंध, या भाव को बताते हैं। ये किसी वस्तु की विशेषताओं को विस्तार से व्यक्त करते हैं।

उदाहरण और प्रयोग

विशेषणसंज्ञा के साथ प्रयोगवाक्य में प्रयोग
सुन्दरसुन्दर फूलयह गुलाब का फूल बहुत सुन्दर है।
बड़ाबड़ा पेड़वह पेड़ बहुत बड़ा है।
मीठामीठा आमबाजार में मीठा आम बिक रहा है।
तेज़तेज़ धूपआज तेज़ धूप निकल रही है।
कालाकाला कुत्ताकाला कुत्ता बगीचे में खेल रहा है।
गरमगरम चायमाँ ने गरम चाय बनाई है।

गुणवाचक विशेषण की विशेषताएँ

  • ये गुण बताते हैं, संख्या नहीं।
  • लिंग, वचन, और कारक के अनुसार बदलते हैं।
  • तुलनात्मक और सर्वोच्च रूप में प्रयोग होते हैं, जैसे बड़ा – बड़ा से बड़ा – सबसे बड़ा।

4. परिमाणवाचक विशेषण (Quantitative Adjectives)

परिभाषा

परिमाणवाचक विशेषण किसी वस्तु की मात्रा या परिमाण को दर्शाते हैं, पर वे संख्या के रूप में निश्चित नहीं होते।

उदाहरण और प्रयोग

विशेषणसंज्ञा के साथ प्रयोगवाक्य में प्रयोग
थोड़ाथोड़ा दूधमुझे थोड़ा दूध दो।
पूरापूरा दिनउसने पूरा दिन पढ़ाई की।
अधिकअधिक पैसाउसने अधिक पैसा खर्च किया।
कुछकुछ किताबेंकुछ किताबें मेज पर रखी हैं।
आधाआधा रास्ताआधा रास्ता मैं चल चुका हूँ।

विशेषताएँ

  • मात्रा दर्शाते हैं लेकिन संख्या नहीं।
  • संख्या से बड़े या छोटे परिमाण बताते हैं।

5. संख्यावाचक विशेषण (Numeral Adjectives)

परिभाषा

संख्यावाचक विशेषण वे शब्द हैं जो संज्ञा या सर्वनाम के साथ लगकर उसकी संख्या या क्रम को स्पष्ट करते हैं।

प्रकार

  • निर्देशक संख्यावाचक (Cardinal): एक, दो, तीन…
  • आदेश सूचक संख्यावाचक (Ordinal): पहला, दूसरा, तीसरा…
  • भेद सूचक संख्यावाचक (Distributive): प्रत्येक, हर, दोनों
  • अनिश्चित संख्यावाचक (Indefinite): कुछ, कई, अधिक

उदाहरण और प्रयोग

प्रकारविशेषणवाक्य में प्रयोग
निर्देशकतीनमेरे पास तीन किताबें हैं।
आदेश सूचकपहलावह मेरा पहला दोस्त है।
भेद सूचकप्रत्येकप्रत्येक छात्र को पुरस्कार मिला।
अनिश्चितकईकई लोग बाजार गए हैं।

6. संबंधवाचक विशेषण (Demonstrative/Relative Adjectives)

परिभाषा

संबंधवाचक विशेषण संज्ञा या सर्वनाम के साथ लगकर उसकी निकटता, दूरी या किसी संबंध को दर्शाते हैं। इन्हें निर्देशवाचक विशेषण भी कहते हैं।

प्रकार

  • निकटवाचक: यह, ये, इसी, इन
  • दूरवाचक: वह, वे, उस, उन

उदाहरण

विशेषणवाक्य में प्रयोग
यहयह किताब मेरी है।
वहवह आदमी बहुत ज्ञानी है।
इसीहम इसी सड़क से जाते हैं।
उनउन बच्चों ने अच्छा काम किया।

7. अन्य प्रकार के विशेषण

7.1 व्यवहारी विशेषण

वे विशेषण जो किसी व्यक्ति या वस्तु के स्वभाव, व्यवहार या चरित्र को दर्शाते हैं।

उदाहरण:

  • मेहनती छात्र
  • धैर्यवान व्यक्ति
  • बुद्धिमान शिक्षक

7.2 संयोगवाचक विशेषण

वे विशेषण जो संज्ञा या सर्वनाम के साथ संयोग या मात्रा को दर्शाते हैं।

उदाहरण:

  • पूरा परिवार
  • अकेला बच्चा
  • स्वयं अध्यापक

8. विशेषण के नियम

8.1 लिंग, वचन और कारक के अनुसार परिवर्तन

विशेषण अपने सम्बंधित संज्ञा के लिंग, वचन, और कारक के अनुसार बदलते हैं।

उदाहरण:

  • बड़ा लड़का (पुल्लिंग, एकवचन)
  • बड़ी लड़की (स्त्रीलिंग, एकवचन)
  • बड़े लड़के (पुल्लिंग, बहुवचन)
  • बड़ी लड़कियाँ (स्त्रीलिंग, बहुवचन)

8.2 तुलनात्मक और सर्वोच्च रूप

गुणवाचक विशेषणों के तुलनात्मक और सर्वोच्च रूप होते हैं।

उदाहरण:

  • बड़ा → बड़ा से बड़ा → सबसे बड़ा
  • मीठा → मीठा से मीठा → सबसे मीठा

9. विशेषण और क्रिया विशेषण में अंतर

विषयविशेषण (Adjective)क्रिया विशेषण (Adverb)
परिभाषासंज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैंक्रिया, विशेषण या अन्य क्रिया विशेषण की विशेषता बताते हैं
उदाहरणबड़ा घर, लाल फूलतेज़ दौड़ना, धीरे बोलना
पूछे जाने वाले प्रश्नकैसा? कौन सा? कितने?कैसे? कब? कहाँ? क्यों?

10. विशेषण के प्रयोग में सावधानियाँ

  • विशेषण का वाक्य में सही स्थान और उचित प्रयोग आवश्यक है।
  • तुलनात्मक और सर्वोच्च रूप के प्रयोग में सावधानी बरतनी चाहिए।
  • विशेषण और क्रिया विशेषण का भेद समझकर प्रयोग करें।
  • संधि और समास के नियमों का पालन करें।

11. अभ्यास एवं उदाहरण

अभ्यास 1: निम्न वाक्यों में विशेषण पहचानें और भेद बताएं

  1. वह सुंदर लड़की है।
  2. मैंने तीन किताबें पढ़ीं।
  3. यह मेरा पहला पुरस्कार है।
  4. हमें थोड़ा पानी चाहिए।
  5. वे मेहनती छात्र हैं।

अभ्यास 2: नीचे दिए गए शब्दों को गुण, परिमाण, संख्या और संबंध के अनुसार वर्गीकृत करें –

सुंदर, तीन, थोड़ा, वह, पूरा, कई, पहला, यह

अभ्यास 3: निम्न विशेषणों के तुलनात्मक और सर्वोच्च रूप लिखें –

  • बड़ा
  • मीठा
  • तेज़
  • सुंदर

12. विशेषण के साथ वाक्य निर्माण

  • गुणवाचक:
    • मीठा आम बाजार में बिक रहा है।
    • वह लंबा लड़का है।
  • परिमाणवाचक:
    • मुझे थोड़ा पानी दो।
    • पूरा दिन बारिश होती रही।
  • संख्यावाचक:
    • चार बच्चे पार्क में खेल रहे हैं।
    • यह मेरा पहला पुरस्कार है।
  • संबंधवाचक:
    • वह घर बहुत सुंदर है।
    • इसी सड़क से स्कूल जाता हूँ।
  • व्यवहारी:
    • मेहनती छात्र ही सफलता पाते हैं।

13. विशेषण के साथ संधि और समास

विशेषण कभी-कभी संधि और समास में भी प्रयोग होते हैं।

समास उदाहरण:

  • सुंदर + आकार = सुंदराकार
  • नीला + आसमान = नीलाकाश

संधि उदाहरण:

  • लाल + अंगूर = लालांगूर
  • बड़ा + ईंट = बड़ईंट (अधिकतर प्रयोग में नहीं)

14. विशेषण का महत्व और निष्कर्ष

विशेषण भाषा की वह शक्ति है जो संज्ञा को जीवन प्रदान करती है। वे न केवल वस्तु या व्यक्ति की पहचान देते हैं बल्कि उसकी विशेषताओं को भी उजागर करते हैं। बिना विशेषण के भाषा अधूरी, सपाट और अस्पष्ट होती है। इसलिए विशेषणों के सही ज्ञान और प्रयोग से भाषा प्रभावशाली, सजीव और समझने में आसान बनती है।

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