‘उसके अंदर प्रकाश है बाहर आशा…’ — इस कथन से लेखक का क्या आशय है?

‘उसके अंदर प्रकाश है बाहर आशा। विपत्ति अपना सारा दलबल लेकर आए, हामिद की आनंद भरी चितवन उसका विध्वंस कर देगी।’ – इस कथन से लेखक का क्या आशय है?

प्रसिद्ध कथाकार मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित अमर कहानी ‘ईदगाह’ का यह अंश—

“उसके अंदर प्रकाश है, बाहर आशा। विपत्ति अपना सारा दलबल लेकर आए, हामिद की आनंद भरी चितवन उसका विध्वंस कर देगी।”
केवल एक साहित्यिक पंक्ति नहीं है, बल्कि यह एक पूरे जीवन-दर्शन को सरलतम रूप में प्रस्तुत करती है।

यह कथन एक छोटे बच्चे हामिद के उस भावनात्मक, नैतिक और आत्मबल से परिपूर्ण व्यक्तित्व को दर्शाता है जो अभावों में भी आशा, दुःख में भी आनंद और अकेलेपन में भी आत्मविश्वास को कायम रखता है।

कथन का सार्थक विश्लेषण

1. “उसके अंदर प्रकाश है…” — आंतरिक उजास का भाव

यह पंक्ति दर्शाती है कि हामिद के भीतर गहरा आत्मबल और मानसिक परिपक्वता है। वह केवल पाँच साल का बच्चा है, लेकिन उसके मन में किसी भी प्रकार की नकारात्मकता नहीं है। प्रकाश एक रूपक है—आत्मविश्वास, नैतिकता, निष्कलुषता और परोपकारिता का।

  • प्रकाश यहाँ आशा की किरण है जो उसे विपत्ति में भी राह दिखाता है।
  • यह वह मानसिक ताकत है जो हामिद को भीड़ में अकेले नहीं होने देती।
  • उसका मन निर्मल है, जिसके कारण उसके निर्णय भी परिपक्व होते हैं, भले ही वह एक बालक हो।

2. “…बाहर आशा” — बाह्य जीवन में आशावाद की झलक

बाह्य परिस्थितियाँ चाहे जितनी भी प्रतिकूल क्यों न हों, हामिद का जीवनदर्शन आशावादी है।
हामिद अपनी दादी के साथ अत्यंत निर्धनता में रहता है। उसके पास न नए कपड़े हैं, न पैसे, न ही परिवार का सुख। लेकिन इसके बावजूद वह किसी प्रकार की शिकायत नहीं करता।

  • उसके हावभाव में उत्साह है, आशा है, और जीवन के प्रति प्रेम है।
  • वह यह मानकर चलता है कि भविष्य बेहतर होगा—यही आशा उसकी शक्ति है।
  • लेखक दिखाना चाहते हैं कि परिस्थितियाँ चाहे कैसी भी हों, सकारात्मक सोच उन्हें बदल सकती है।

3. “विपत्ति अपना सारा दलबल लेकर आए…” — संघर्ष की सघनता

यह वाक्यांश एक काल्पनिक युद्ध का चित्र खींचता है जहाँ विपत्ति अपनी पूरी ताकत के साथ हामिद पर टूट पड़ती है। यह उन सभी सामाजिक, आर्थिक और भावनात्मक संकटों का प्रतीक है जो एक बालक को झकझोर सकते हैं।

  • विपत्ति का दलबल — भूख, गरीबी, अकेलापन, उपेक्षा, बाल्यावस्था की कमजोरियाँ।
  • परंतु, हामिद अपनी आनंद भरी चितवन से उन सब पर विजय प्राप्त करता है।

यह पंक्ति बताती है कि मानव का आंतरिक बल इतना शक्तिशाली हो सकता है कि वह किसी भी प्रकार की आपदा को मात दे सके।

4. “हामिद की आनंद भरी चितवन उसका विध्वंस कर देगी…” — भावनात्मक हथियार की शक्ति

‘आनंद भरी चितवन’ में एक अद्भुत भावनात्मक आयुध है। यह केवल मुस्कान नहीं है, बल्कि जीवन को देखने का विशेष दृष्टिकोण है।

  • वह दृष्टि जो गरीबी में भी परोपकार देखती है।
  • वह दृष्टि जो खिलौनों की जगह चिमटे को प्रेम का प्रतीक मानती है।
  • हामिद की यह दृष्टि बताती है कि वह संसार को आत्मीयता और कर्तव्यबोध से देखता है।

यह दृष्टिकोण किसी भी आपदा को अर्थहीन और निर्बल बना देता है। यही कारण है कि प्रेमचंद हामिद को एक सामान्य बालक नहीं बल्कि असाधारण मानसिकता का प्रतिनिधि मानते हैं।

साहित्यिक दृष्टिकोण से पंक्ति का महत्व

प्रेमचंद हिंदी साहित्य में यथार्थवाद के प्रवर्तक माने जाते हैं। उनकी कहानियों में समाज का वास्तविक चित्रण होता है, लेकिन वे केवल समस्याओं का वर्णन नहीं करते—वे उनके समाधान के मानवीय उपाय भी प्रस्तुत करते हैं।

यह कथन क्यों महत्वपूर्ण है?

  • यह बाल मनोविज्ञान का श्रेष्ठ उदाहरण है।
  • यह दिखाता है कि संवेदनशीलता और त्याग की भावना उम्र से नहीं जुड़ी होती।
  • यह प्रेमचंद की लेखनी की गहराई और मानवीयता को दर्शाता है।

नैतिक शिक्षा और आज की प्रासंगिकता

आज के समय में जब बच्चों की दुनिया मोबाइल, तकनीक और भौतिकता तक सीमित होती जा रही है, हामिद की कहानी एक संवेदनात्मक पुनर्जागरण का संदेश देती है।

  • कैसे आत्मबल, संवेदना और परिवार के प्रति प्रेम बालकों को असाधारण बना सकता है।
  • कैसे एक साधारण चिमटा भी प्रेम और कर्तव्य का प्रतीक बन सकता है।
  • कैसे मुस्कान और सकारात्मक सोच किसी भी परिस्थिति को मात दे सकती है।

हामिद — एक बालक, एक योद्धा, एक दार्शनिक

हामिद केवल एक पात्र नहीं है, वह एक प्रतीक है—

  • निर्धनता में भी समृद्ध सोच का।
  • अकेलेपन में भी सामाजिक भावनाओं का।
  • कमज़ोर काया में भी प्रबल आत्मबल का।

प्रेमचंद के लिए हामिद वह आशा है, जो समाज के सबसे उपेक्षित वर्ग में भी संवेदना की लौ जलाए रखती है।

निष्कर्ष

उसके अंदर प्रकाश है, बाहर आशा। विपत्ति अपना सारा दलबल लेकर आए, हामिद की आनंद भरी चितवन उसका विध्वंस कर देगी।

यह कथन सिर्फ प्रेमचंद की लेखनी का सौंदर्य नहीं, बल्कि समाज के लिए एक आदर्श दृष्टिकोण है। हामिद हमें सिखाता है कि सच्चा बल शरीर में नहीं, आत्मा में होता है। सच्चा सौंदर्य चेहरे में नहीं, दृष्टिकोण में होता है। और सच्ची विजय हथियारों से नहीं, आनंद भरी चितवन से मिलती है।

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