प्रस्तावना
हामिद ने चिमटे की उपयोगिता को सिद्ध करते हुए क्या-क्या तर्क दिए? हिंदी साहित्य के महान कथाकार मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘ईदगाह’ बाल मनोविज्ञान की सजीव और प्रभावशाली प्रस्तुति है। इस कहानी का मुख्य पात्र, हामिद— मात्र 4-5 वर्षीय बालक—अपने व्यवहार और निर्णय से यह सिद्ध करता है कि संवेदनशीलता और समझदारी उम्र की मोहताज नहीं होती। ईद के मेले में जब सभी बच्चे खिलौने और मिठाइयों में व्यस्त होते हैं, तब हामिद एक चिमटा खरीदता है—एक ऐसा निर्णय जो उसकी परिपक्वता, परिवार के प्रति स्नेह, और व्यवहारिक बुद्धि को दर्शाता है।
1. व्यावहारिक उपयोगिता का पहला तर्क: दादी के जलते हाथ
हामिद के चिमटा खरीदने का सबसे पहला और मुख्य तर्क उसकी दादी अमीना की पीड़ा से जुड़ा है। कहानी में बताया गया है कि अमीना रोज़ रोटियाँ सेंकते समय हाथ जला बैठती है क्योंकि उनके पास चिमटा नहीं है। जब हामिद मेले में खिलौनों की भीड़ और मिठाइयों के आकर्षण के बीच चिमटे को चुनता है, तो उसका मन दादी की तकलीफ से जुड़ा होता है।
तर्क का विश्लेषण:
- बच्चों की दुनिया में आमतौर पर तात्कालिक इच्छाएँ और मनोरंजन सर्वोपरि होते हैं।
- हामिद अपने आनंद से अधिक, दादी की पीड़ा को महत्व देता है।
- वह यह तर्क देता है कि खिलौने तो टूट जाएंगे, मिठाइयाँ खतम हो जाएंगी, लेकिन चिमटा दादी के लिए राहत का साधन बनेगा।
2. स्थायित्व का तर्क: टिकाऊपन बनाम क्षणिक सुख
हामिद अपने दोस्तों को यह भी समझाने की कोशिश करता है कि खिलौने मिट्टी के हैं और थोड़े समय में टूट जाएंगे। वहीं, चिमटा लोहे का है—मजबूत और टिकाऊ। उसकी यह सोच न केवल आर्थिक समझदारी को दर्शाती है, बल्कि एक लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट जैसी परिकल्पना को भी प्रस्तुत करती है।
तर्क का विश्लेषण:
- दीर्घकालीन उपयोगिता: हामिद बताता है कि चिमटा सालों तक चलेगा।
- खिलौनों की अस्थिरता: दोस्तों के खिलौने जल्दी टूटने लगते हैं, जिससे हामिद का तर्क और भी प्रभावशाली लगता है।
- बाल बोध का परिष्कार: एक छोटा बालक जब स्थायित्व को वरीयता देता है, यह उसकी मानसिक परिपक्वता को दर्शाता है।
3. भावनात्मक तर्क: उपहार से स्नेह की अभिव्यक्ति
हामिद के लिए चिमटा केवल एक औज़ार नहीं, एक प्रेम की भेंट है। वह सोचता है कि जब दादी इसे देखेंगी तो बहुत खुश होंगी। इस भावनात्मक जुड़ाव में वह आत्म-त्याग भी समाहित है। जबकि उसके साथी बच्चे अपने लिए ही खरीदारी कर रहे हैं, हामिद अपनी सारी पूंजी दादी की सुविधा के लिए खर्च करता है।
तर्क का विश्लेषण:
- यह तर्क ‘प्रेम की उपयोगिता’ को दर्शाता है।
- उपहार का उद्देश्य सिर्फ वस्तु देना नहीं, बल्कि भावना देना होता है—यह बात हामिद अपने निर्णय से सिद्ध करता है।
- हामिद के लिए चिमटा, उसकी दादी के प्रति कर्तव्य और भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक बन जाता है।
4. आत्म-गौरव का तर्क: चिमटे को खिलौने जैसा प्रस्तुत करना
जब हामिद के दोस्त उसका मज़ाक उड़ाते हैं कि वह कोई ‘खिलौना’ नहीं लाया, तो वह चिमटे को एक नायक की तरह प्रस्तुत करता है—वह कहता है कि उसका चिमटा सब खिलौनों से ताकतवर है, और उनकी रक्षा भी कर सकता है।
तर्क का विश्लेषण:
- यह तर्क रचनात्मकता और कल्पना की शक्ति को दर्शाता है।
- हामिद अपने निर्णय पर शर्मिंदा नहीं होता, बल्कि गर्व करता है।
- वह यह साबित करता है कि कोई भी वस्तु, यदि भावना और सोच से जुड़ी हो, तो मूल्यवान बन जाती है।
5. सामाजिक तर्क: सीमित संसाधनों में सर्वश्रेष्ठ चयन
हामिद के पास कुल तीन पैसे होते हैं। वह जानता है कि इस सीमित राशि में न मिठाई खरीदी जा सकती है, न कोई टिकाऊ खिलौना। ऐसे में वह अपने संसाधनों का अधिकतम उपयोग करते हुए चिमटा खरीदता है, जो सस्ता भी है और उपयोगी भी।
तर्क का विश्लेषण:
- यह तर्क आर्थिक विवेक को दर्शाता है।
- सीमित संसाधनों में आवश्यकता की प्राथमिकता को हामिद समझता है।
- यही गुण उसे एक साधारण बालक से विशिष्ट बनाता है।
6. नैतिकता और मूल्यबोध का तर्क
हामिद का निर्णय केवल एक क्रय-विक्रय नहीं है, यह उसके नैतिक मूल्यों को भी उजागर करता है। दादी ने उसे मेले भेजते समय यह सीख दी थी कि कोई गलत काम मत करना, और हामिद उस विश्वास पर खरा उतरता है। वह दिखावा नहीं करता, बल्कि परिवार की आवश्यकता को समझता है।
तर्क का विश्लेषण:
- नैतिकता केवल आदर्श नहीं, व्यवहार में उतरी हुई सोच बन जाती है।
- यह तर्क हामिद के चरित्र की ऊँचाई को दर्शाता है।
7. अंततः दादी की प्रतिक्रिया ही तर्क की पुष्टि
जब हामिद दादी को चिमटा देता है, तो पहले वह क्रोधित हो उठती हैं। लेकिन जैसे ही उन्हें हामिद की सोच का एहसास होता है, उनकी आँखें भर आती हैं। वे उसे चूम लेती हैं। यह दृश्य इस बात की पुष्टि करता है कि हामिद का तर्क व्यर्थ नहीं था।
तर्क का निष्कर्ष:
- कथाकार मुंशी प्रेमचंद यहीं आकर पाठकों को भावनात्मक रूप से बाँध लेते हैं।
- चिमटा अब केवल वस्तु नहीं, मूल्य, त्याग, प्रेम और समझदारी का प्रतीक बन जाता है।
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निष्कर्ष
कथाकार मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘ईदगाह’ एक चिमटे के माध्यम से न केवल वस्तु की उपयोगिता को उजागर करती है, बल्कि बाल मनोविज्ञान, पारिवारिक स्नेह, नैतिक मूल्य और व्यवहारिक बुद्धिमत्ता को भी सामने लाती है। हामिद की सोच में छुपे तर्क आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने कहानी के लिखे जाने के समय थे।