पृथ्वीराज रासो की विषयवस्तु और काव्य कौशल की विवेचना

पृथ्वीराज रासो की विषयवस्तु और काव्य कौशल की विवेचना

  पृथ्वीराज रासो की विषयवस्तु और काव्य कौशल की विवेचना: हिंदी साहित्य के आदिकालीन काव्य-भंडार में "पृथ्वीराज रासो" एक ऐतिहासिक, साहित्यिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में...

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विद्यापति की काव्य भाषा

विद्यापति की काव्य भाषा

भारतीय मध्यकालीन साहित्य में विद्यापति ठाकुर (1352–1448 ई.) का नाम प्रेम और भक्ति की कविता के महानतम पुरोधाओं में लिया जाता है। वे मैथिली भाषा के गौरव हैं और ‘मैथिली काव्य-कोकि...

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हिंदी भाषा का उद्भव और विकास

हिंदी भाषा का उद्भव और विकास

    किसी भी भाषा के उद्भव और विकास का अध्ययन वास्तव में उस भाषा के सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य के साथ जुड़ा होता है। हिंदी भाषा आज भा...

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हिंदी आलोचना का उद्भव और विकास

हिंदी आलोचना का उद्भव और विकास

भूमिका: किसी भी साहित्य की पूर्णता एवं विकास के लिए आलोचना आवश्यक होती है। आलोचना साहित्य को दिशा प्रदान करती है, रचनाओं के गुण-दोषों को स्पष्ट करती है, और रचनाकार तथा पाठक के ब...

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रघुवीर सहाय की सामाजिक चेतना

रघुवीर सहाय की सामाजिक चेतना

रघुवीर सहाय की सामाजिक चेतना: रघुवीर सहाय हिंदी साहित्य के उन चुनिंदा कवियों, कथाकारों और पत्रकारों में से एक हैं, जिनके लेखन का मूल उद्देश्य समाज की विसंगतियों, राजनीतिक विद्र...

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विद्यापति का श्रृंगार वर्णन

विद्यापति का श्रृंगार वर्णन- भारतीय साहित्य में श्रृंगार रस को प्रधान रस माना गया है। काव्यशास्त्र में श्रृंगार का महत्व सर्वोपरि है क्योंकि यह मानव के हृदय के कोमलतम भावों को उद्घ...

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विद्यापति की भक्ति भावना

विद्यापति की भक्ति भावना

भारतीय साहित्य की भक्ति परंपरा में विद्यापति एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। विद्यापति मैथिली साहित्य के सर्वाधिक लोकप्रिय कवि हैं। इनका जन्म मिथिला क्षेत्र के मधुबनी जिले के बिस्फी...

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रघुवीर सहाय की कविताओं में व्यक्त राजनीतिक दृष्टि

रघुवीर सहाय की कविताओं में व्यक्त राजनीतिक दृष्टि परिचय रघुवीर सहाय (1929-1990) हिंदी साहित्य में समकालीन संवेदनाओं के प्रखर कवि के रूप में प्रतिष्ठित हैं। उनकी कविताएँ स्वतंत्...

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