जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय- Jayshankar Prasad Ka Jeevan Parichay

जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय(Jayshankar Prasad Ka Jeevan Parichay): हिंदी साहित्य का जब भी स्वर्णिम इतिहास लिखा जाएगा, तो जयशंकर प्रसाद का नाम सदा स्वर्णाक्षरों में अंकित रहेगा। वे न केवल हिंदी के छायावादी युग के एक स्तंभ थे, बल्कि एक महान कवि, नाटककार, उपन्यासकार और कहानीकार भी थे। उनका साहित्यिक व्यक्तित्व बहुआयामी था और उनकी रचनाएँ आज भी हिंदी साहित्य प्रेमियों के लिए एक अमूल्य धरोहर हैं।

प्रारंभिक जीवन एवं जन्म

जयशंकर प्रसाद का जन्म 30 जनवरी 1889 को वाराणसी (उत्तर प्रदेश) के एक संपन्न वैश्य (सुंघनी साहू) परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम देवकीनंदन प्रसाद था, जो एक प्रतिष्ठित तंबाकू व्यापारी थे। जयशंकर प्रसाद का परिवार परंपरागत रूप से समृद्ध और संस्कृति प्रेमी था।

छोटे से जयशंकर ने बचपन से ही कला, साहित्य और संस्कृति में रुचि लेना प्रारंभ कर दिया था। जब वे केवल 11 वर्ष के थे, तभी उनके पिता का देहांत हो गया। इसके बाद परिवार की जिम्मेदारी उनके बड़े भाई ने संभाली, लेकिन कुछ ही समय में उनका निधन भी हो गया। इसके बाद प्रसाद जी ने कठिन परिस्थितियों में भी स्वाध्याय द्वारा अपनी शिक्षा जारी रखी।

शिक्षा

जयशंकर प्रसाद ने संस्कृत, हिंदी, उर्दू और फारसी भाषाओं का गहन अध्ययन किया। वे औपचारिक रूप से किसी विश्वविद्यालय से नहीं पढ़े, परंतु उनके स्वाध्याय और पांडित्य ने उन्हें एक श्रेष्ठ विद्वान बनाया। उन्होंने वेद, पुराण, दर्शन और भारतीय संस्कृति का व्यापक अध्ययन किया, जिसका प्रभाव उनकी रचनाओं में स्पष्ट दिखाई देता है।

साहित्यिक जीवन की शुरुआत

जयशंकर प्रसाद ने अपने साहित्यिक जीवन की शुरुआत उर्दू में काव्य लेखन से की। प्रारंभ में वे “कलाधर” उपनाम से लिखते थे। लेकिन बाद में वे हिंदी साहित्य की ओर आकर्षित हुए और यहीं उन्होंने अपनी पहचान बनाई।

उनकी पहली प्रकाशित कृति थी — कानन कुसुम (1909)। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और साहित्य की अनेक विधाओं में अद्वितीय योगदान दिया।

छायावादी युग का आरंभकर्ता

जयशंकर प्रसाद को हिंदी छायावाद का जनक माना जाता है। छायावाद हिंदी काव्य का वह युग था जिसमें भावनात्मकता, कल्पनाशीलता, प्रकृति-चित्रण और आत्मा की अनुभूति का चित्रण मिलता है।

उन्होंने हिंदी कविता को खड़ी बोली में एक नया सौंदर्य, माधुर्य और काव्यात्मक गहराई दी। छायावादी युग के अन्य तीन प्रमुख कवि — महादेवी वर्मा, सुमित्रानंदन पंत और सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ — के साथ मिलकर वे इस युग के ‘चार स्तंभ’ कहलाए।

प्रमुख काव्य कृतियाँ

जयशंकर प्रसाद की कविताओं में रहस्यवाद, प्रकृति प्रेम, देशभक्ति और नारी की गरिमा का सुंदर चित्रण मिलता है। उनकी भाषा संस्कृतनिष्ठ और भावपूर्ण होती थी।

प्रसिद्ध काव्य संग्रह:

  • कामायनी (1936): यह उनकी सबसे प्रसिद्ध और कालजयी रचना है। इसमें मानव जीवन के मनोवैज्ञानिक और दार्शनिक पक्षों का विश्लेषण किया गया है। यह महाकाव्य “श्रद्धा”, “आस्था”, “काम”, “ज्ञान” आदि अध्यायों में विभाजित है।
  • झरना
  • आंसू
  • लहर
  • चित्राधार
  • प्रेम पथिक

नाटक और रंगमंच में योगदान

जयशंकर प्रसाद ने हिंदी नाटक साहित्य को नया जीवन दिया। उन्होंने ऐतिहासिक और पौराणिक विषयों पर आधारित नाटक लिखे जिनमें भारतीय संस्कृति और गौरव का बखूबी चित्रण हुआ।

प्रमुख नाटक:

  • चंद्रगुप्त
  • स्कंदगुप्त
  • ध्रुवस्वामिनी
  • राज्यश्री
  • विशाख
  • अजातशत्रु
  • एक घूँट

इन नाटकों में उन्होंने देशभक्ति, नारी सशक्तिकरण और आदर्श समाज की कल्पना को प्रस्तुत किया।

उपन्यास और कहानियाँ

प्रसाद जी ने हिंदी कहानी लेखन की भी नींव रखी। उनकी कहानियाँ मनोवैज्ञानिक पृष्ठभूमि और चरित्रों की भीतरी संवेदनाओं पर आधारित होती थीं।

प्रसिद्ध कहानियाँ:

  • ग्राम
  • छोटा जादूगर
  • पुरस्कार
  • आंधी
  • राज्य का प्रबंध

उपन्यास:

  • कंकाल
  • तितली
  • इरावती

भाषा शैली

जयशंकर प्रसाद की भाषा संस्कृतनिष्ठ, भावप्रधान, अलंकारिक और गूढ़ होती थी। उनकी शैली में काव्यात्मकता और दर्शन का सुंदर समन्वय देखने को मिलता है। उन्होंने हिंदी को साहित्यिक गरिमा और सांस्कृतिक चेतना प्रदान की।

जयशंकर प्रसाद की साहित्यिक विशेषताएँ

  • छायावाद के अग्रदूत
  • भारतीय संस्कृति और गौरव का चित्रण
  • संवेदनशील मनोवृत्ति और भावनात्मक गहराई
  • नारी सम्मान और स्वाभिमान का समर्थन
  • राष्ट्रप्रेम और भारतीयता की भावना

मृत्यु

जयशंकर प्रसाद का देहांत 15 नवम्बर 1937 को मात्र 48 वर्ष की आयु में हुआ। उनका निधन हिंदी साहित्य के लिए एक अपूर्णीय क्षति थी। लेकिन उनकी रचनाएँ आज भी जीवंत हैं और लाखों पाठकों को प्रेरित करती हैं।

FAQs: जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय

प्रश्न 1: जयशंकर प्रसाद को हिंदी साहित्य में किस युग का कवि माना जाता है?
उत्तर: जयशंकर प्रसाद को छायावाद युग का प्रमुख कवि माना जाता है।

प्रश्न 2: जयशंकर प्रसाद की सबसे प्रसिद्ध काव्य रचना कौन-सी है?
उत्तर: उनकी सबसे प्रसिद्ध काव्य रचना कामायनी है।

प्रश्न 3: जयशंकर प्रसाद ने किस विधाओं में लिखा है?
उत्तर: उन्होंने कविता, नाटक, उपन्यास, कहानियाँ और निबंध सहित कई विधाओं में योगदान दिया।

प्रश्न 4: जयशंकर प्रसाद का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर: उनका जन्म 30 जनवरी 1889 को वाराणसी में हुआ था।

प्रश्न 5: जयशंकर प्रसाद की प्रमुख भाषा शैली क्या थी?
उत्तर: उनकी भाषा संस्कृतनिष्ठ, गूढ़, भावात्मक और दार्शनिक होती थी।

निष्कर्ष: Jayshankar Prasad Ka Jeevan Parichay

जयशंकर प्रसाद न केवल हिंदी साहित्य के गौरव हैं, बल्कि वे भारत की सांस्कृतिक चेतना के संवाहक भी हैं। उनके साहित्य में संवेदना, राष्ट्रप्रेम, सांस्कृतिक गौरव और मानवीय मूल्यों की झलक मिलती है। उनकी लेखनी आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी उनके समय में थी। उनका संपूर्ण साहित्य भारतीय आत्मा का गान है।

जो कोई हिंदी साहित्य को जानना चाहता है, उसके लिए जयशंकर प्रसाद का अध्ययन आवश्यक है। उनकी ‘कामायनी’ केवल एक काव्य नहीं, एक दर्शन है; उनका ‘चंद्रगुप्त’ केवल एक नाटक नहीं, बल्कि भारतीय इतिहास का पुनर्जागरण है।

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