टेनिस कोच और नेशनल प्लेयर राधिका की गोली मारकर हत्या
हरियाणा के गुरुग्राम नेशनल खिलाड़ीके साथ एक दर्दनाक और हैरान करने वाली वारदात सामने आई है। 25 वर्षीय नेशनल टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की उसके ही पिता ने गोली मारकर हत्या कर दी। पुलिस ने आरोपी पिता दीपक यादव को गिरफ्तार कर लिया है। ये घटना गुरुग्राम के पॉश इलाके सुशांत लोक की है।
एकेडमी खोलने से नाराज़ था पिता
राधिका ने करीब डेढ़ महीने पहले सेक्टर-57 में खुद की टेनिस एकेडमी शुरू की थी। वह वहां बच्चों को टेनिस सिखा रही थी। लेकिन पिता दीपक को यह सब रास नहीं आ रहा था। लोगों के ताने और समाज की बातें उसके मन में घर कर गई थीं। आसपास के लोग कहते थे कि बेटी की कमाई खा रहा है, बेटी घर के बाहर क्यों है, सोशल मीडिया पर क्यों एक्टिव है।
तानों से तंग पिता बना हत्यारा
दीपक यादव ने पुलिस को दिए कबूलनामे में कहा, “लोग मेरी बेटी के चरित्र पर सवाल उठाते थे। कहते थे कि मैं उसकी कमाई खा रहा हूं। बेटी ने मेरी इज्जत मिट्टी में मिला दी।”
तानों से तंग आकर, उसने अपनी लाइसेंसी रिवॉल्वर उठाई और राधिका पर तीन गोलियां दाग दीं। यह सब तब हुआ जब राधिका किचन में अपनी बीमार मां के लिए खाना बना रही थी। उस दिन मां का जन्मदिन भी था।
तीन गोलियां… और बेटी की मौत
वारदात सुबह करीब 10:30 बजे की है। दीपक यादव ने पीछे से राधिका की कमर में तीन गोलियां मारीं। गोली की आवाज सुनकर नीचे से दीपक के भाई भागकर ऊपर पहुंचे। उन्होंने देखा कि राधिका खून से लथपथ पड़ी है और रिवॉल्वर पास ही टेबल पर रखी है। तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
कोर्ट ही बना मौत का कारण
जिस टेनिस कोर्ट से राधिका को नई पहचान मिली, वही उसकी मौत की वजह बन गया। चोट के चलते राधिका ने खेलना छोड़ा था लेकिन खेल से रिश्ता नहीं तोड़ा। वो कोच बनी, बच्चों को ट्रेनिंग देने लगी। लेकिन यही आत्मनिर्भरता उसके पिता को गवारा नहीं हुई।
राधिका के सोशल मीडिया पर भी थी आपत्ति
दीपक यादव राधिका की सोशल मीडिया एक्टिविटी से भी नाराज था। उसे रील्स बनाना, पब्लिक पोस्ट डालना पसंद नहीं था। उसने कई बार राधिका को टोका, एकेडमी बंद करने को कहा, लेकिन राधिका नहीं मानी। आत्मनिर्भर और जागरूक राधिका ने अपने फैसलों से समझौता नहीं किया।
राधिका की उपलब्धियाँ और समाज की बेरहमी
राधिका न सिर्फ नेशनल खिलाड़ी थी, बल्कि युवाओं के लिए प्रेरणा भी बन चुकी थी। उसने स्टेट और नेशनल लेवल पर कई मेडल्स जीते। वह अपने दम पर आगे बढ़ रही थी। लेकिन समाज की सोच और तानों की दीवारें उसके लिए मौत की सजा बन गईं।
आखिरी समय तक बेटी निभा रही थी ज़िम्मेदारी
जिस समय राधिका को गोली मारी गई, वह अपनी मां के जन्मदिन के लिए किचन में खाना बना रही थी। बीमार मां को आराम देने के लिए उसने खुद जिम्मेदारी ली थी। लेकिन उसे क्या पता था कि उसके अपने ही पिता उसके जीवन का अंत कर देंगे।
निष्कर्ष: झूठी शान ने निगल ली होनहार बेटी
राधिका की हत्या कोई साधारण मामला नहीं है। यह उस समाज की तस्वीर है, जहां बेटी की सफलता भी अपराध बन जाती है। तानों से तंग पिता अपनी ही बेटी का कातिल बन गया।
अब सवाल यह है कि बेटियों को कब तक समाज के तानों और झूठी इज्जत की आड़ में कुर्बान किया जाएगा?
Watch:https://www.youtube.com/watch?v=huApCnpqTA8
🙏 राधिका को न्याय मिले, और समाज अपनी सोच बदले। बेटियों को जीने दो, बढ़ने दो।