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‘उदयपुर फाइल्स’ बनाने वाले अमित जानी पर हैं कई मुक़दमे: जानिए उनके खिलाफ दर्ज मामलों की पूरी कहानी

अमित जानी

परिचय: एक विवादास्पद नाम की चर्चा

हाल के महीनों में ‘उदयपुर फाइल्स’ नाम की डॉक्यूमेंट्री और उसके निर्माता अमित जानी का नाम मीडिया और सोशल मीडिया में छाया हुआ है। जहां एक तरफ़ कुछ लोग इस फिल्म को ‘हिंदू हितों की आवाज़’ कह रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अमित जानी के खिलाफ कई आपराधिक मुक़दमे दर्ज हैं, जिनकी गंभीरता को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।

कौन हैं अमित जानी? उन पर क्या-क्या आरोप हैं? और कैसे एक व्यक्ति सामाजिक कार्यकर्ता से लेकर विवादों के केंद्र तक पहुंचा — आइए विस्तार से जानते हैं।


अमित जानी कौन हैं?

अमित जानी एक राजनीतिक कार्यकर्ता और सोशल मीडिया पर सक्रिय हिंदूवादी चेहरा हैं। वे खुद को ‘हिंदू सेना’ और ‘उत्तर प्रदेश नवनिर्माण सेना’ से जुड़ा बताते हैं। वे कई बार अपनी कट्टर विचारधारा, विवादित बयानबाज़ी और प्रदर्शनों के चलते सुर्खियों में रहे हैं।

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‘उदयपुर फाइल्स’ एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म है जो 2022 में कन्हैयालाल हत्याकांड को केंद्र में रखती है। इसे कई हलकों में मुस्लिम विरोधी प्रोपेगेंडा कहा जा रहा है। फिल्म के कंटेंट को लेकर बहस गर्म है, लेकिन इसके निर्माता अमित जानी के कानूनी रिकॉर्ड को भी अब गंभीरता से देखा जा रहा है।

अमित जानी


अमित जानी पर दर्ज मुक़दमे: कानूनी नजर से

1. धार्मिक उन्माद फैलाने के आरोप

अमित जानी के खिलाफ कई बार धार्मिक भावनाएं भड़काने, सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने और उग्र भाषण देने के आरोप लग चुके हैं।

  • उदाहरण: एक मामले में उन पर धारा 153A (सांप्रदायिक तनाव बढ़ाना) के तहत केस दर्ज हुआ था, जिसमें उन्होंने मुस्लिम समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दिए थे।

2. सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट

जानी की सोशल मीडिया प्रोफाइल (विशेषकर Facebook और Twitter) पर कई ऐसे पोस्ट पाए गए हैं, जिन्हें फर्जी खबर, सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील, और हेट स्पीच माना गया।

  • धारा 295A के तहत उनके खिलाफ FIR दर्ज हुई, जो धार्मिक भावनाएं ठेस पहुंचाने से जुड़ी है।

3. गैरकानूनी प्रदर्शन और गिरफ्तारी

अमित जानी कई बार बिना अनुमति के प्रदर्शन, सार्वजनिक स्थानों पर बाधा डालने, और पुलिस आदेश की अवहेलना के लिए गिरफ्तार किए गए हैं।

  • एक बार उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में जाकर ‘सावरकर जिंदाबाद’ के नारे लगाए थे और ‘गोडसे जिंदाबाद’ का पोस्टर लगाया था, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया।

4. शस्त्र प्रदर्शन और लाइसेंस उल्लंघन

2023 में उत्तर प्रदेश पुलिस ने अमित जानी के एक वीडियो के आधार पर जांच की, जिसमें वह हथियारों का प्रदर्शन करते हुए दिख रहे थे। जांच में पता चला कि उनमें से कुछ हथियारों का लाइसेंस वैध नहीं था।


‘उदयपुर फाइल्स’ और नया विवाद

उदयपुर फाइल्स’ एक डॉक्यूमेंट्री है जो 2022 के जून में उदयपुर, राजस्थान में हुए कन्हैयालाल की हत्या पर आधारित है। यह घटना बेहद वीभत्स थी, जिसमें एक दर्जी को कट्टरपंथी युवकों ने धारदार हथियार से मार डाला क्योंकि उसने नुपुर शर्मा के समर्थन में एक पोस्ट शेयर की थी।

इस घटना को फिल्म में कुछ इस तरीके से प्रस्तुत किया गया है कि:

  • इसमें पूरे समुदाय को कटघरे में खड़ा कर दिया गया है।
  • मुस्लिम विरोधी भावनाओं को उकसाने की कोशिश की गई है।
  • हत्या के दृश्य और धार्मिक संदर्भों को बहुत भड़काऊ रूप में दिखाया गया है।

राजस्थान सरकार ने फिल्म को लेकर निगरानी की बात कही है, और कई वकीलों और मानवाधिकार संगठनों ने इस पर आपत्ति जताई है।


राजनीतिक महत्वाकांक्षा या प्रचार की रणनीति?

बहुत से राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अमित जानी की ऐसी गतिविधियां सिर्फ सामाजिक चिंता या हिंदू रक्षा से प्रेरित नहीं हैं, बल्कि इसके पीछे एक राजनीतिक एजेंडा है।

  • 2014 के लोकसभा चुनावों के समय अमित जानी ने खुद को राहुल गांधी का विरोधी बताकर प्रचार किया था।
  • वे कई बार नरेन्द्र मोदी समर्थक के रूप में और कभी-कभी उनके आलोचक के रूप में सामने आए हैं।

इसलिए कई लोग उन्हें “पब्लिसिटी पॉलिटिशियन” भी कहते हैं — जो हर मुद्दे पर एक कट्टर स्टैंड लेकर चर्चा में बने रहना चाहते हैं।

Watch:https://www.youtube.com/watch?v=8UgzqNmghMY


कानूनी और सामाजिक नतीजे

अमित जानी पर दर्ज मुक़दमे ये संकेत देते हैं कि:

  1. कानून की नजर में वह एक विवादास्पद व्यक्ति हैं।
  2. उनकी गतिविधियां सिर्फ विचारों की अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि कई बार कानून के दायरे के बाहर जाती रही हैं।
  3. फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ एक और उदाहरण है जहां मीडिया और सिनेमा के माध्यम से ध्रुवीकरण को बढ़ावा दिया गया।

Read more : https://newzwala.com/%e0%a4%9b%e0%a4%be%e0%a4%82%e0%a4%97%e0%a5%81%e0%a4%b0-%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%ac%e0%a4%be-dharmantaran-network/


निष्कर्ष: सावधानी और सोच जरूरी

अमित जानी जैसे व्यक्ति हमारे समाज और लोकतंत्र के लिए एक चुनौती बनते जा रहे हैं, जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और नफरत के प्रचार में फर्क करना बेहद जरूरी है।

‘उदयपुर फाइल्स’ जैसी फिल्मों के जरिए एक वर्ग विशेष को निशाना बनाना, न सिर्फ संविधान के खिलाफ है, बल्कि देश की सामाजिक एकता को भी कमजोर करता है।

हमें बतौर नागरिक यह समझना चाहिए कि कौन से नेता और विचारक वास्तव में समाज को आगे ले जा रहे हैं और कौन सिर्फ वोट और प्रचार के लिए आग में घी डाल रहे हैं।

कानून को अपना काम करने देना चाहिए, और समाज को चाहिए कि वह ऐसे विवादास्पद चेहरों को बिना जांचे परखे समर्थन न दे।


आपका क्या मानना है? क्या इस तरह की डॉक्यूमेंट्रीज़ अभिव्यक्ति की आज़ादी हैं या समाज को बांटने का माध्यम? अपनी राय नीचे कमेंट करें।


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